मिलाया मुझको उससे, पहले ये एहसान किया
मैंने दिल-जान सभी, उस पे ये कुर्बान किया
मिल के सब खो गया, जैसे कोई सजा दी हो
इब्ने-मरियम का मैंने, क्या कोई नुक्सान किया
तपाया जिस्म, जलाये ख़त, मिटाई तस्वीरें
तुझे भुलाने को, क्या कुछ नहीं सामान किया
है प्यास अब भी , पी चुका मैं वो आसूं तमाम
लहूँ को सोख लिया, चाक गिरेबान किया
किसी पनघट पे बैठा, बांसुरी बजाता है
आज फिर उसकी बे निजाई ने हैरान किया
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