Thursday, May 24, 2012

एक


कितनी खूबसूरत होती ये दुनिया, गर सबका हरम एक होता  
सब  इकतरह  सर नवाते , सबका धरम एक होता 

मुझसे क्यों अलग किया मेरे जैसा था वो बिलकुल 
न  होता ये अ गर हममें से वो एक होता 

आज तनहा ही लौटा दरगह से एक पीर की 
      अय काश के उस बस्ती मैं मेरा भी मक़ा एक होता  

Tuesday, May 22, 2012

बादशाह


कहदूं जो तुम्हे  ख्वाब तो नाराज न होना
मुश्कुराया हूँ बरसों मैं, खफा आज न होना

देखा था तुम्हे परिओं के एक गाँव मै कल रात 
अब तो मेरे लिए  है जन्नत  राज न होना

इक  बादशाह सा घूमता इतरा रहा था मैं
बेशक  से था सर पे कोई भी ताज न होना