Tuesday, May 22, 2012

बादशाह


कहदूं जो तुम्हे  ख्वाब तो नाराज न होना
मुश्कुराया हूँ बरसों मैं, खफा आज न होना

देखा था तुम्हे परिओं के एक गाँव मै कल रात 
अब तो मेरे लिए  है जन्नत  राज न होना

इक  बादशाह सा घूमता इतरा रहा था मैं
बेशक  से था सर पे कोई भी ताज न होना 

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