Wednesday, September 12, 2012

हमेशा

मैंने उससे कहाँ "तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो",
वो हल्का सा मुस्काई और बोली "मैं तो तुम्हे कितना दर्द देती हूँ" 
"जानता हूँ, फिर भी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ" मैंने फिर कहा।

"मैं तुम्हे एक दिन छोड़ जाऊंगी" उसने याद दिलाया, 
"तुम अब भी कहाँ मेरे पास हो" मेरी आखों मैं दर्द था।

"तुम क्यूं चाहते हो मुझे" उसने पूछा,
"केवल इसलिए की मैं खूबसूरत हूँ, या इसलिए के मुझे खोने का डर सताता है तुम्हे"    
 "इसलिए की अपने आप से और तुम से कुछ वादे किये हैं" मैंने समझाया।

"मुझसे ज्यादा क्या चाहते हो किसी और को?" उसने मेरी आँखों मैं देख कर कहा,
मैंने अपने आस पास के जमा लोगो को देखा, खामोश रहा 
उसे जवाब मिल गया था।

"क्यों इतना मोह?" 
"नहीं जनता।" 
"क्यों इतना पागलपन?" 
"तुम ही बताओ।" 
    
"क्यों नहीं लगा लेती एक बार गले, मुझे मुक्ति मिल जाये?" इस बार मैंने पूछा, 
"क्या सचमुच ऐसा चाहते हो?" उसने सवाल किया और मैं चुप रहा 
नहीं मुझे तो बस तुम्हारे साथ रहना है, अन्दर से आवाज आयी।

कल रात ख्वाब मैं ज़िन्दगी से कुछ इस तरह ही मुलाकात हुई 
मैंने ज़िन्दगी से कहा "तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो",
वो हल्का सा मुस्काई और बोली " मैं तो तुम्हे कितना दर्द देती हूँ"
"जानता हू, फिर भी मुझे तुम्हारे साथ रहना है"
हमेशा ।  



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