Tuesday, October 2, 2012

समय

दिन के समय का एक बड़ा हिस्सा बेच दिया है मैंने
एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी को, सस्ते दामों पे 

शाम को जो घर लौटा 
तो पत्नी ने मुश्कुरा के माँगा, समय का अपना हिस्सा 

एक हिस्सा बच्चो को दिया 
खेला, हँसा, गुदगुदाया और चुकाया खुद को 

अब दिन ढले, वक़्त का एक छोटा टुकड़ा बाकी है मेरे पास 
फुर्शत में बैठा तो तुम्हारी कुछ शरारतें याद आईं 
तुम्हारे साथ बिताये वो खूबसूरत पल  

अफ़सोस के दिन के इस हिस्से मैं भी,  मैं मैं न रहा 
चलो आज फिर इस शाम को तुम्हारे नाम किये देता हूँ 
जियूँगा फिर किसी रोज अपने लिए 

जन्मदिन मुबारक हो !!!

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